Saturday, July 26, 2025

तुलसीदास का धर्म बनाम मानसून सत्र 2025 की राजनीति — जब संसद से मर्यादा लुप्त हो गई

 


📰 Title:
तुलसीदास का धर्म बनाम मानसून सत्र 2025 की राजनीति — जब संसद से मर्यादा लुप्त हो गई

📅 Date Published:
26 जुलाई 2025


🔸 प्रस्तावना: तुलसीदास की आत्मा से संसद तक

2025 का मानसून सत्र ऐसे समय आया जब समाज में गहरी धार्मिक, जातीय और राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है। संसद वह मंच है जहाँ लोकनीति और धर्मनीति एक साथ विचार का विषय बनते हैं। लेकिन इस बार चर्चा धर्म के नाम पर सत्ता के पुनर्गठन, जातीय आंकड़ों की राजनीति, धार्मिक प्रतीकों के बाज़ारीकरण और विपक्ष की उपेक्षा पर केंद्रित रही।

गोसाईं तुलसीदास, जिनकी रचना रामचरितमानस को उत्तर भारतीय संस्कृति का धार्मिक और नैतिक आधार माना जाता है, आज के राजनीतिक विमर्श में प्रासंगिक बनकर उभरे हैं — खासतौर पर तब जब "रामराज्य" का नाम लिया जाता है लेकिन उसके मूल्य खोते जा रहे हैं।


🔍 तुलसीदासीय धर्म बनाम वर्तमान राजनीतिक मुद्दे

विषय तुलसीदासीय धर्म मानसून सत्र 2025 की राजनीति
श्रद्धा भावना, विवेक और मर्यादा धार्मिक नारे, विरोधियों का बहिष्कार
समाज दृष्टि गुण आधारित सम्मान जातीय जनगणना और आरक्षण राजनीति
राम प्रतीक करुणा, समर्पण, सेवा धार्मिक पर्यटन और मंदिर ब्रांडिंग
नेतृत्व दृष्टि तपस्या और विनम्रता सत्ता वर्चस्व, एकदलीय नियंत्रण
जनभागीदारी सह-अस्तित्व और जनसेवा वोट बैंक आधारित नीतियाँ

🔸 1. संसद में "धर्म" और विरोध की राजनीति

2025 के मानसून सत्र की शुरुआत से ही संसद में धार्मिक नारे गूंजे — "जय श्रीराम" बनाम "संविधान बचाओ"।
विपक्ष के सांसदों ने आरोप लगाया कि सरकार धर्म के नाम पर संविधानिक विमर्श को कुचल रही है।
(Ref: The Hindu, July 23, 2025 — "Opposition walks out over UCC draft bill introduction.")

तुलसीदास के राम “मर्यादा पुरुषोत्तम” हैं — वे किसी को नीचा नहीं दिखाते, न ही अपनी आस्था को हथियार बनाते हैं।

रामू नामु पावन परमाहा, सुनत श्रवण पावन मनमाहा” – बालकाण्ड

लेकिन संसद में राम का नाम विरोध को चुप कराने के लिए उपयोग किया गया — यह श्रद्धा नहीं, सत्ता का ‘साउंड सिस्टम’ बन चुका है।


🔸 2. OBC जनगणना और वर्ण आधारित सत्ता

मानसून सत्र में सबसे तीखा मुद्दा रहा जाति आधारित जनगणना और संविधान संशोधन की मांग (Ref: Indian Express, July 20, 2025).
विपक्ष ने इसे सामाजिक न्याय का हथियार बताया, जबकि सत्ताधारी दल ने इसे जातिवादी राजनीति कहा।

तुलसीदास ने स्पष्ट कहा था:

जाति पाँति पूछे नहिं कोई, हरि को भजै सो हरि को होई” – किष्किन्धा काण्ड

आज जातियाँ सत्ता के अंकगणित का हिस्सा बन चुकी हैं, गुणों का नहीं।


🔸 3. राम मंदिर – धर्मस्थल या पर्यटन स्थल?

प्रधानमंत्री ने संसद में घोषणा की कि अयोध्या को "ग्लोबल धार्मिक टूरिज़्म हब" बनाया जाएगा (Ref: PIB Press Release, July 18, 2025).
राम मंदिर के आसपास ₹7500 करोड़ के प्रोजेक्ट की घोषणा की गई।

पर क्या तुलसी के राम इस बाज़ारीकरण से सहमत होते?

परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई” – अरण्यकाण्ड

राम का नाम सेवा से जुड़ा है, न कि एयरपोर्ट और फाइव स्टार सुविधाओं से।


🔸 4. नेतृत्व: तपस्वी बनाम तानाशाह

मानसून सत्र में विपक्षी नेताओं को लगातार सस्पेंड किया गया और कुछ विधेयक बिना बहस के पास हुए (Ref: Scroll.in, July 24, 2025).
यह संसद की मर्यादा और लोकतांत्रिक चेतना का हनन है।

तुलसीदास के आदर्श में नेतृत्व विनम्रता और तपस्या का प्रतीक है:

बड़े भाग मानुष तनु पावा, सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा” – बालकाण्ड

सत्ताधारी दलों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता सेवा है, अधिकार नहीं।


🔸 5. UCC (Uniform Civil Code): एकरूपता या वर्चस्व?

सरकार ने UCC बिल के ड्राफ्ट को पेश किया, जिससे अल्पसंख्यक और जनजातीय समूहों ने विरोध जताया।
(Ref: LiveLaw.in, July 22, 2025 – “UCC violates pluralistic ethos, says Opposition.”)

तुलसी के राम सबको सम्मान देते हैं — चाहे वह शबरी हो या निषादराज।
एकरूपता अगर विविधता को मिटाए, तो वह धर्म नहीं अधर्म है।


✍️ तुलसीदास की समापन वाणी

सदियों पहले तुलसीदास ने हमें चेताया था:

"जहाँ ना नीति, ना धर्म, ना ज्ञान,
केवल जाति, झूठा अभिमान।
राम का नाम वहाँ बेकार है,
अधर्म का चोला, बस व्यापार है!"

यह केवल कविता नहीं — यह एक राजनीतिक चेतावनी है।
अगर संसद धर्म के मूल्यों से दूर हो जाए, तो सत्ता अधर्म बन जाती है।


📚 संदर्भ (References):

  1. Ramcharitmanas, Goswami Tulsidas, Gita Press Edition
  2. The Hindu, July 23, 2025 – Opposition Walks Out Over UCC Draft Bill
  3. Indian Express, July 20, 2025 – Caste Census Sparks House Uproar
  4. PIB Press Release, July 18, 2025 – PM’s Address on Ayodhya Masterplan
  5. Scroll.in, July 24, 2025 – Parliament Passes 3 Bills Amidst Opposition Suspension
  6. LiveLaw.in, July 22, 2025 – Opposition Says UCC Draft Discriminatory

📩 निष्कर्ष

क्या हम तुलसी के राम को फिर से याद कर सकते हैं —
जो सबको गले लगाते थे, जाति और धर्म से ऊपर उठकर?

संसद को अगर रामराज्य चाहिए, तो उसे केवल मंदिर नहीं, मर्यादा और सेवा का मार्ग अपनाना होगा।


🖊️ लेख: Akshat Agrawal
🎯 Blogger | Policy Thinker | Conscious Citizen
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