करना था सो कर बीते, तुम सुर नाग असुर मुनि जीते,
अब अपनी करनी का फल भोग।
गुरु जी, कह रहे हैं — पहला भोग इसी को लगाओ !!
(विस्तारित संस्करण):
करना था सो कर बीते —
तुमने विज्ञान को युद्ध में बदला,
शांति के व्रत को सत्ता की हवस में बदला।
सुर थे तो भी हथियार उठाए,
नाग थे तो ज़हर फैलाया,
असुर थे तो सत्ता पर बैठकर धर्म का मुखौटा पहनाया।
मुनि भी चुप रहे — डर के मारे या लोभ में आके।
अब समय है —
कर्म का लेखा जोखा खुल चुका है।
तुमने जो बोया है — अब वही काटना होगा।
तुमने ग्लेशियर जलाए, जंगल उजाड़े,
बच्चों से बचपन छीना,
स्त्रियों से गरिमा और मजदूरों से पेट की रोटी छीनी।
अब वही दुनिया
डॉलर और डेटा के देवताओं के पैरों में पड़ी कराह रही है।
गुरु जी कह रहे हैं —
पहला भोग उसी को लगाओ
जिसने मनुष्य को फिर से जाति, धर्म, नस्ल और राष्ट्र के नाम पर बाँटा,
जिसने युद्ध को ‘रक्षा नीति’ कहा,
जिसने झूठ को ‘विकास’ और नफ़रत को ‘राष्ट्रवाद’ कहा।
यह अमेरिका हो या रूस, चीन हो या इजराइल, पाकिस्तान हो या भारत —
सब एक ही कुचक्र में फँसे हैं —
अधर्म के नायक, पूंजी के गुलाम, और करुणा के शत्रु बन बैठे हैं।
अब नया युग तब ही जन्मेगा
जब भोग के बाद बोध आएगा,
जब सत्ता के सिंहासन से उतरकर
मनुष्य आत्मा की ओर लौटेगा।
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Sunday, May 11, 2025
करना था सो कर बीते ....karmic lessons
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