Thursday, May 15, 2025

तुम चुप क्यों रही?

 अगली पीढ़ी सवाल पूछेगी, तुम चुप क्यों रही!
अत्याचार, अनाचार, व्यभिचार को तुम क्यों सहती रही!
गुण, कला, साहित्य को तुम क्यों लुटाती रही। अपने बच्चों के भविष्य को तुम जाहिलयत के भेंट चढ़ाती रही।

"तुम चुप क्यों रही?"
(भारतीय नारी से सवाल)

अगली पीढ़ी पूछेगी —
"माँ... तुम चुप क्यों रही?"
जब सच को कुचला गया,
जब न्याय को खरीदा गया,
जब मंदिरों में पाखंड और संसद में व्यापारी बैठे —
तब तुम कहां थी?"

क्यों सहती रही अत्याचार को,
क्यों सहती रही व्यभिचार को,
क्यों ओढ़ ली चुप्पी की चादर
जब तुम्हारी देह को, आत्मा को, और विचार को कुचला जा रहा था?

तुम देवी भी बनी, दासी भी बनी,
पर इंसान कब बनी?
क्यों खुद को “संस्कार” के नाम पर
हर बार जलाती रही?

कला, संगीत, कविता —
जो कभी तुम्हारी आत्मा थे,
तुमने उन्हें उत्सवों की भेंट चढ़ा दिया,
फैशन और फॉलोअर्स के नाम पर लूट दिया।

तुम्हारे हाथ में कलम थी —
तुमने थाली बजाई।
तुम्हारे पास प्रश्न थे —
तुमने चुुप्पी को पूजा बनाई।

तुमने अपने बच्चों को
तर्क नहीं, डर सिखाया।
ज्ञान नहीं, जाति सिखाई।
स्वतंत्रता नहीं, भक्ति का गुलाम बनाया।

तो अब सुनो!
तुम सिर्फ 'माँ', 'पत्नी', 'बहन' नहीं —
एक नागरिक हो, एक मनुष्य हो —
और जिम्मेदार भी!

अगली पीढ़ी जब राख से उठेगी,
तो वो तुमसे पूछेगी —
"हमारे सपनों को किसने बेचा?"
और वो उंगली…
किसी नेता पर नहीं, तुम पर उठेगी।

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