Mahabharat me bhishma dharm, adharm ke beech ulajhe , apni pratigyaon me jakade, bhram ke prateek hai...Manushya ka antim pratidvandvi bhram hi hai, jo chhalani chhalani ho jaata hai par anta ko prapt nahi hota...
Ye hi humen sansaar aur adhyatma ke beech bhatakata hai....Ye hi humen aisa prateet karata hai jaise humari mrityu abhi door hai....Ye hi humen apne dukh, पीड़ाओं की विस्मृति भी करवाता है, इसलिए मनुष्य का एक तरह से हितैषी भी है। कितनी भी बड़ी पीड़ा क्यों न हो, कुछ समय के बाद मनुष्य इसी भ्रम की सहायता से normal हो जाता है।
वास्तव में ये भ्रम कि हम परिवार के पालन कर्ता हैं, जो कुछ प्राप्त किया वो ह्यूमेन अपने पुरुषार्थ से प्राप्त किया, और जो कुछ खोया वो दैव योग, भाग्य से, ये ही हमें तरह तरह के कर्म में फंसाता है। जब तक भ्रम है, हम किसी न किसी रिश्ते, संबंधों में बंधे हैं।
भ्रम के नाश से ही भगवद प्राप्ति है। और इसको इच्छा मृत्यु का वरदान है, अर्थात भगवान की अनुकंपा से ही भ्रम का नाश है।
https://www.facebook.com/groups/502276319845984/permalink/1694600747280196/
Ye hi humen sansaar aur adhyatma ke beech bhatakata hai....Ye hi humen aisa prateet karata hai jaise humari mrityu abhi door hai....Ye hi humen apne dukh, पीड़ाओं की विस्मृति भी करवाता है, इसलिए मनुष्य का एक तरह से हितैषी भी है। कितनी भी बड़ी पीड़ा क्यों न हो, कुछ समय के बाद मनुष्य इसी भ्रम की सहायता से normal हो जाता है।
वास्तव में ये भ्रम कि हम परिवार के पालन कर्ता हैं, जो कुछ प्राप्त किया वो ह्यूमेन अपने पुरुषार्थ से प्राप्त किया, और जो कुछ खोया वो दैव योग, भाग्य से, ये ही हमें तरह तरह के कर्म में फंसाता है। जब तक भ्रम है, हम किसी न किसी रिश्ते, संबंधों में बंधे हैं।
भ्रम के नाश से ही भगवद प्राप्ति है। और इसको इच्छा मृत्यु का वरदान है, अर्थात भगवान की अनुकंपा से ही भ्रम का नाश है।
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