कृष्णं वन्दे — Youth Power ✨
हे पार्थ, सत्यनिष्ठ, कारुणिक और भद्र पुरुष कभी भी झूठ, मक्कारी, व्यभिचार और अन्यायपूर्ण, भेदयुक्त आचरण नहीं करता। इसलिए उसे खेद, दुख या व्यथा होने का कोई कारण नहीं होता। वह सदा शांत, संतुलित और मुस्कुराता हुआ ही दिखता है।
भारतीय युवा शक्ति का जागरण 🇮🇳
आज का भारतीय युवा संविधान के मूल सिद्धांतों — सत्य, समानता, स्वतंत्रता और अहिंसा — को पुनः आत्मसात करने की ओर अग्रसर है। वह यह समझ रहा है कि देश की शक्ति विभाजनकारी कुटिल नीतियों (जैसे शकुनि, कैकेयी और सुपर्णखा की नीतियाँ) में नहीं, बल्कि सत्य और न्याय आधारित धर्मनीति में है।
युवा अब केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों के पीछे नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज की भलाई के लिए अपने कर्मों को समर्पित करने लगे हैं।
संविधान और धर्मनीति का संगम 📜
भारत का संविधान केवल कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का आधुनिक रूपांतरण है।
- समानता (अनुच्छेद 14–18)
- स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19–22)
- बंधुता/भाईचारा (उद्देश्यिका)
यही आधार हैं जो हमें किसी भी बाहरी या भीतरी षड्यंत्र से बचाते हैं और राष्ट्रधर्म की ओर ले जाते हैं।
गीता का संदेश: कर्मयोग और निष्काम कर्म 🕉️
भगवद् गीता आज भी यही सिखाती है —
1️⃣ कर्म करो, फल की चिंता मत करो
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।" (गीता 2.47)
अर्थ: तुम्हारा केवल कर्म करने का अधिकार है, उसके फल पर नहीं।
2️⃣ भय और मोह को त्यागो
"योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनंजय।" (गीता 2.48)
अर्थ: संतुलित मन से कर्म करो, आसक्ति और भय को त्यागकर।
3️⃣ धर्म और सत्य पर अडिग रहो
"सत्त्वानुरूपा सर्वभूतानि शोभन्ते।"
अर्थ: जो व्यक्ति अपने कर्म और विचारों में सच्चाई और धर्म के अनुरूप रहता है, वही वास्तविक रूप से चमकता है।
यह संदेश युवा शक्ति को अहिंसा, सत्य और न्याय के मार्ग पर डटे रहने के लिए प्रेरित करता है।
युवा ही भविष्य के सारथी 🚩
- कौशल और शिक्षा पर ध्यान दें – अपने व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता दें।
- समाज और राष्ट्र के लिए योगदान दें – स्वयंसेवा, ज्ञान साझा करना और समाज में सक्रिय भागीदारी अपनाएँ।
- सफलता + नैतिक जिम्मेदारी का संतुलन बनाएँ – केवल व्यक्तिगत लाभ के पीछे भागने की बजाय, अपने कर्मों में सामाजिक मूल्य जोड़ें।
🕉️ कृष्णं वन्दे — Youth Power
भारतीय युवा का संकल्प: संविधान, सत्य और अहिंसा की पुनर्स्थापना।
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