Friday, August 22, 2025

Out of Body (आत्म) अनुभव – शरीर से परे चेतना की यात्रा



Out of Body (आत्म) अनुभव – शरीर से परे चेतना की यात्रा

भजो रे भैया राम गोविंद हरि।
शरीर से मत जुड़ो, इसके साथ जीत–हार, सुख–दुख की भावनाएँ ही बंधी हैं।

आत्म-अनुभव क्या है?

जब मनुष्य थोड़ी देर के लिए अपने शरीर से अलग होकर स्वयं को केवल चेतना के रूप में महसूस करता है, इसे Out of Body Experience (OBE) या आत्म अनुभव कहते हैं। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि गहरी साधना, ध्यान या कभी–कभी आकस्मिक परिस्थितियों (बीमारी, दुर्घटना, नींद की गहराई) में घटने वाली वास्तविक अनुभूति है।

उस क्षण लगता है कि –

  • मैं यह शरीर नहीं हूँ।
  • सुख–दुख, हार–जीत, लाभ–हानि केवल शरीर और मन तक सीमित हैं।
  • आत्मा इन सबसे परे, स्थिर और स्वतंत्र है।

भजो रे भैया – इसका गूढ़ संदेश

भक्ति का अर्थ केवल नाम जपना नहीं है। भजो रे भैया हमें स्मरण कराता है कि –

  • शरीर अस्थायी है, इसे ज्यादा महत्व मत दो।
  • जीवन में घटने वाली जीत–हार केवल नाटक का हिस्सा है।
  • सच्ची पहचान आत्मा है, जो कभी नहीं मरती, कभी हारती नहीं।

Dead Body as Voyager – एक नया दृष्टिकोण

Our dead body is like a Voyager on the journey of the solar system and the universe. We see with bewilderment everything tied to Mother Earth by gravitational pull, and how the five elements (पंचतत्व) take different forms and shapes. But soon our journey will continue beyond Earth into the unknown space.

यह दृष्टिकोण हमें यह सिखाता है कि –

  • शरीर धरती के नियमों और गुरुत्वाकर्षण से बंधा है।
  • मृत्यु के बाद यह पाँच तत्वों (जल, अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी) में लौट जाता है।
  • लेकिन आत्मा इन बंधनों से मुक्त होकर अपनी अगली यात्रा पर निकल पड़ती है, जैसे एक अंतरिक्ष यान ब्रह्मांड की अज्ञात दिशाओं में बढ़ता है।

क्यों ज़रूरी है आत्म-अनुभव?

  • यह हमें स्थितप्रज्ञ बनाता है – हर परिस्थिति में संतुलित।
  • हमें भय से मुक्त करता है – मृत्यु या असफलता का डर मिट जाता है।
  • यह समझ में आता है कि जीवन का लक्ष्य केवल भौतिक उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि आत्मिक शांति है।

निष्कर्ष

Out of Body Experience केवल योगियों का अनुभव नहीं है। यह हर व्यक्ति के भीतर छुपा सत्य है।
जब हम शरीर से अपनी पहचान हटाकर आत्मा को पहचानते हैं, तभी सच्चा भजन होता है।

भजो रे भैया राम गोविंद हरि।
शरीर से मत जुड़ो, आत्मा का अनुभव करो।
वहीं स्थिरता है, वहीं अमरत्व है।



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